आज हम हमारे चैनल के रचनाकार अभय पाण्डेय जी के द्वारा लिखी गई "मां पर कविताएं" प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर ये Poem On Mother पसन्द आये, तो Share जरूर करें।
माँ, एक मात्र ऐसे ईश्वर का स्वरूप है
जिसकी अवधारणा को गढ़ने
के लिए किसी भी गीता, कुरान
या बाइबल की आवश्यकता तक नहीं होती।
जिसके दर्शनों के लिए
मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर की ओर
भागने की जरूरत तक नहीं लगती।
जिस तक अर्जी पहुचाने के लिए
पंडित, मोमिन या पादरीयो
की गरज तक नहीं पड़ती।
जिसको बुलाने के लिए
श्लोक, चालीसा या आयत
बड़बड़ाने की विवशता तक नहीं होती।
जिसकी नजरों में पड़ने के लिए
खुद को भगवा या हरा
में रंगने की मजबूरी तक नहीं होती।
"माँ " ही एक मात्र ऐसे
ईश्वर का "अप्रतिम" स्वरूप होती है,
जो खुद का पेट भूख से
और बच्चों का रोटियों से भरती है।
जो खुद की नींद रातजगो से
और बच्चों की मीठे
सपनों से पूरी करती है।
जिसकी मूर्ति त्याग में ढली
और ममता से रंगी होती है।
हाँ, मानवीय रूप में
एक ईश्वरीय स्वरूप होती है "माँ"।
माँ, एक मात्र ऐसे ईश्वर का स्वरूप है
जिसकी अवधारणा को गढ़ने
के लिए किसी भी गीता, कुरान
या बाइबल की आवश्यकता तक नहीं होती।
जिसके दर्शनों के लिए
मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर की ओर
भागने की जरूरत तक नहीं लगती।
जिस तक अर्जी पहुचाने के लिए
पंडित, मोमिन या पादरीयो
की गरज तक नहीं पड़ती।
जिसको बुलाने के लिए
श्लोक, चालीसा या आयत
बड़बड़ाने की विवशता तक नहीं होती।
जिसकी नजरों में पड़ने के लिए
खुद को भगवा या हरा
में रंगने की मजबूरी तक नहीं होती।
"माँ " ही एक मात्र ऐसे
ईश्वर का "अप्रतिम" स्वरूप होती है,
जो खुद का पेट भूख से
और बच्चों का रोटियों से भरती है।
जो खुद की नींद रातजगो से
और बच्चों की मीठे
सपनों से पूरी करती है।
जिसकी मूर्ति त्याग में ढली
और ममता से रंगी होती है।
हाँ, मानवीय रूप में
एक ईश्वरीय स्वरूप होती है "माँ"।
- अभय पाण्डेय
तो दोस्तों आज हमने "मां पर कविताएं" प्रस्तुत की। आपको ये Poem On Mother कैसी लगी हमें कमेन्ट करके जरूर बताएं।
वो चीखी होगी , रोई होगी , गुहार लगाई होगी ।
ReplyDeleteपर किसी ने एक न सुनी होगी, क्योंकि किसी को स्कूल जाना होगा, किसी को दफ्तर जाना हीग, तो किसी को दुकान खोलनी होगी । उसने तो गुहार लगाई होगी पर किसी ने एक न सुनी होगी।
उसके मन में एक उम्मीद होगी, अल्ला , ईश्वर, वाहेगुरू, जीजस किसी ने तो मेरी आवाज सुनी होगी,
मुझे बचने के लिए कुछ तो तैयारी की होगी,
फिर गुहार लगाई होगी पर किसी ने एक न सुनी होगी।
इंसानो से हार गई होगी,अलग अलग मझहवों के भगवानो से हार गई होगी,फिर एक सोच आयी होगी कि शायद जानवरों को तो मेरी खुशबू जरूर आयी होगी, कुत्ते, बंदर, गाय, बिल्ली, किसी ने तो मेरी चीख सुनी होगी,
उसने तो गुहार लगाई होगी पर किसी ने एक न सुनी होगी।
आखिर में उसने आँखें बंद की होगी,
फिर जरूर सोची होगी, बिना वजह क्यू मिली ये सजा मुझे,
इंसानों से हैवानियत तोहफे में मिली मुझे, बस अब एक जगह है जहां उसे राहत मिली होगी,
रोते रोते बेचारी धरती माँ की गोद में सो गई होगी।
Post a Comment