दिए गए छायाचित्र 3 पर लिखी गई श्रेष्ठ रचना
कुछ पल में खुशियां छिन जाए बुरा लगता है,
पर बीता हुआ समय वापस नहीं आ सकता है।
किसी गरीब पर मत हंसो समय बदलते देर नहीं लगती,
अगर राम को वनवास न होता सवरी जूठे बेर न रखती।
बुरा समय हो तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं,
शिकायत किससे करें यहां सब मुंह मोड़ लेते हैं।
कोई खुश तो कोई दुखी ये समय का खेल है,
आज उड़े परिंदों की तरह तो कल जेल है।
अपने हक के लिए लड़ो यू निराश ना हो,
खुद पे हो इतना भरोसा किसी से आश न हो।
मुझे निराशा है गरीबों पे होने वाले अत्याचारों से,
जिसका कुछ नहीं हो सकता ऐसे भ्रष्टाचारों से।
निराशा को पीछे छोड़कर आगे बढ़ते चलो,
मंजिल पाना है तो बाधाओं से लड़ते चलो।
लोगों की निराशा भी ऐसी की हर तरफ हार दिखाई देती है,
जिसे जनता ने चुना वो बदली सी सरकार दिखाई देती है।
- पुष्पेंद्र पटेल
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