तिरंगा कविता | Indian Flag Poem
तीन रंगों से सजा तिरंगा, हवा में जब लहराता है ।
कैसे समझाऊँ तुझे, मुझे कितना सुकून पहुंचाता है।
इसमे सत्य और त्याग छिपा है, वीरता के निशान है ।
लहु से सिंचकर हिफाजत की , उन वीरो के बलिदान है ।
गौरवमयी इतिहास का साक्षी, इसकी महिमा अपरम्पार है ।
शक्ति शान्ति शौर्य समृद्धि , संपन्नता और सम्मान है ।
परिधान बनाया तिरंगे को , और हुआ वतन के नाम ।
नमन करूं हर वीर पुत्र को, सौ सौ बार प्रणाम ।
क्रान्ति की ज्वाला मे जलकर, जिन्होंने जान लूटाई थी ।
इंकलाब की लहरो मे बहकर, आजादी हमे दिलाई थी।
उनके अटूट इरादों के आगे , अंग्रेजों के हौसले चूर हुए।
सदियों की सत्ता हार कर, वापिस लौटने को मजबुर हुए।
जिसकी हवा में तिरंगा लहराये , जुबां पर राष्ट्रगान है ।
सारे जहां की नज़रे आज जहां, वो अपना हिन्दुस्तान है ।
हमारी स्वाधीनता का प्रतीक तिरंगा, हमे इसपर गुमान है।
सवा अरब दिलो की धड़कन, हिन्दुस्तान की पहचान है ।
है करबद्ध निवेदन तुमसे, गरीमा इसकी बनाये रखना ।
माँ भारती का श्रृंगार तिरंगा, पलकों पर बिठाये रखना ।
जब भी तिरंगे को लहराकर, जन - गन - मन गाया जाता है।
कैसे समझाऊँ तुझे, मुझे कितना सुकून पहुंचाता है।
- शिवम तिवाड़ी
Dhanvad
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