डिमोटिवेशन से मोटिवेशन है साइंस - World Science Day
दोस्तों, दस नवंबर को है वल्र्ड साइंस डे यानि विश्व विज्ञान दिवस। ये है साइंस का डे और आज हम बात करेंगे साइंस पे। क्या आपमें से कोई बता सकता है कि साइंस आखिर है क्या? खेर सबके अपने अलग-अलग विचार हैं। मैं अपने विचार रखूं तो साइंस है मोटिवेशन और साइंस है इनोवेशन। इसके साथ ही डिमोटिवेशन से मोटिवेशन है साइंस और ये बात कितनी सही है इसका अंदाजा आपको आगे हो ही जाएगा।
मैंने सुना है कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक जिन्होंने ऐसे आविष्कार कर ड़ाले जिनके लिए यही कहा गया था कि ऐसा कभी सपने में भी नहीं हो सकता और उन लोगों ने बताया कि इनोवेशन क्या होता है और उन लोगों ने ही ये साबित करके बताया कि हां इस दुनिया में कुछ भी इंपोसिबल नहीं। ऐसे असली हीरों हमारे वैज्ञानिक आज भी अमर है।
आप सोच सकते हैं कि आज साइंस मोटिवेशन का काम कर रही है लेकिन हमारे वैज्ञानिक जिन्होंने सबसे पहले आविष्कार किए थे उन्हें कितना मोटिवेशन मिला होगा और कैसे मिला होगा।
दोस्तों, आज का युग इतना एक्टिव है कि इंसान को कभी डिमोटिवेट नहीं होना चाहिए लेकिन आप सोचिए जब पुराना समय था तब वैज्ञानिकों को किसी चीज की कल्पना करने पर यही कहा जाता था कि ये नामुमकिन है फिर भी उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन करके बताया और अपने लिए तैयार कर दी ऐसी साइंस ताकि हम कभी डिमोटिवेट ना हो सके और हम ये कभी ना कहें कि ये काम नामुमकिन है बल्कि बताई साइंस को सीख यही कहें कि हां हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे और दोस्तों, असल में यही है साइंस।
जब डिमोटिवेशन के दौर में मोटिवेशन इतना सफल रह सकता है तो बताइए आज क्यों नहीं? ’’डिमोटिवेशन से मोटिवेशन है साइंस’’ इस पर आपके क्या विचार हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
दोस्तों, दस नवंबर को है वल्र्ड साइंस डे यानि विश्व विज्ञान दिवस। ये है साइंस का डे और आज हम बात करेंगे साइंस पे। क्या आपमें से कोई बता सकता है कि साइंस आखिर है क्या? खेर सबके अपने अलग-अलग विचार हैं। मैं अपने विचार रखूं तो साइंस है मोटिवेशन और साइंस है इनोवेशन। इसके साथ ही डिमोटिवेशन से मोटिवेशन है साइंस और ये बात कितनी सही है इसका अंदाजा आपको आगे हो ही जाएगा।
मैंने सुना है कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक जिन्होंने ऐसे आविष्कार कर ड़ाले जिनके लिए यही कहा गया था कि ऐसा कभी सपने में भी नहीं हो सकता और उन लोगों ने बताया कि इनोवेशन क्या होता है और उन लोगों ने ही ये साबित करके बताया कि हां इस दुनिया में कुछ भी इंपोसिबल नहीं। ऐसे असली हीरों हमारे वैज्ञानिक आज भी अमर है।
आप सोच सकते हैं कि आज साइंस मोटिवेशन का काम कर रही है लेकिन हमारे वैज्ञानिक जिन्होंने सबसे पहले आविष्कार किए थे उन्हें कितना मोटिवेशन मिला होगा और कैसे मिला होगा।
दोस्तों, आज का युग इतना एक्टिव है कि इंसान को कभी डिमोटिवेट नहीं होना चाहिए लेकिन आप सोचिए जब पुराना समय था तब वैज्ञानिकों को किसी चीज की कल्पना करने पर यही कहा जाता था कि ये नामुमकिन है फिर भी उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन करके बताया और अपने लिए तैयार कर दी ऐसी साइंस ताकि हम कभी डिमोटिवेट ना हो सके और हम ये कभी ना कहें कि ये काम नामुमकिन है बल्कि बताई साइंस को सीख यही कहें कि हां हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे और दोस्तों, असल में यही है साइंस।
जब डिमोटिवेशन के दौर में मोटिवेशन इतना सफल रह सकता है तो बताइए आज क्यों नहीं? ’’डिमोटिवेशन से मोटिवेशन है साइंस’’ इस पर आपके क्या विचार हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर ‘‘यश‘‘
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