ग़ज़ल पेश करने के 2 खास तरीके: तरन्नुम और तहत
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज के हमारे लेशन में जिसमें हम ग़ज़ल की जानकारी में ये बताने वाले हैं कि ग़ज़ल पेश करने के 2 खास तरीके कौनसे होते हैं यानी हम तरन्नुम और तहत के बारे में बता रहे हैं। अगर आप भी ये जानने के इच्छुक हैं तो इस लेशन को पूरा जरूर पढ़ें।
दोस्तों, ग़ज़ल को लिखना जितना मुश्किल काम है उतना ही मुश्किल इसे पेश करना है। कई ग़ज़लकार ग़ज़ल लिख तो देते हैं मगर वो उन्हें पेश नहीं कर पाते। कई ग़ज़लकार सिर्फ बोलके ही पेश कर पाते हैं और गा नहीं पाने से वो इस बात से तनाव में रहते हैं कि वो आखिर ग़ज़ल को पेश कैसे करें। ग़ज़ल को बहर में ही लिखा जाना अनिवार्य है क्योंकि इससे ही ग़ज़ल को पेश करते समय इसका सौंदर्य झलकता है।
ग़ज़ल को पेश करने के 2 मुख्य तरीके माने जाते हैं-
1. तहत
2. तरन्नुम
तो दोस्तों, ग़ज़ल पेश करने के 2 तरीके आपको पता चल गए होंगे। अब हम आपको इन दोनों को एक-एक करके विस्तृत जानकारी देकर समझाने की कोशिश करते हैं।
1. तहत - आप इसका नाम सुनके तनाव में न आये क्योंकि जितना इसका नाम कठिन है ये उतना ही सरल है। ग़ज़ल में तहत उसे कहते हैं जब हम ग़ज़ल को गाकर नहीं बल्कि सिर्फ बोलके अच्छे हाव भाव से पेश करते हैं। जी हां, दोस्तों, जब हम किसी ग़ज़ल को बिना गाये सिर्फ बोलके पेश करते हैं, तो उसे ही हम तहत कहते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अगर आपको गाना नहीं आता तो आप ग़ज़ल पेश नहीं कर पाएंगे। आप ग़ज़ल को तहत में भी पेश कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई मशहूर शायर एवं ग़ज़लकार अपनी ग़ज़ल को तहत में ही पेश करते हैं और ऐसे शायरों में राहत इंदौरी साहब भी अपनी गज़लों और अपने अद्भुत प्रस्तुतिकरण से प्रसिद्ध है।
2. तरन्नुम - दोस्तों, अब हम बात करते हैं तरन्नुम की। तरन्नुम उसे कहते हैं जब हम किसी ग़ज़ल को गाकर पेश करते हैं। जी हां, जब हम किसी ग़ज़ल को लयबद्ध तरीके से गाकर पेश करते हैं तो उसे ही ग़ज़ल को तरन्नुम में पेश करना कहा जाता है। अगर आप ग़ज़ल लिखने के साथ-साथ अच्छा गा भी सकते हैं तो आप अपनी ग़ज़ल को तरन्नुम में पेश कर सकते हैं।
दोस्तों, ये 2 मुख्य तरीके ग़ज़ल पेश करने के होते हैं। इन्ही 2 आधार पर ग़ज़ल को पेश किया जाता है। कई ग़ज़लकार ऐसे भी हैं जो तहत और तरन्नुम दोनों में ही ग़ज़ल पेश करते हैं। ग़ज़ल का प्रस्तुतिकरण ही आपकी ग़ज़ल और आपको आगे उपलब्धि दिला सकता है इसीलिए अगर आप भी ग़ज़ल लिखते हैं तो आप भी ध्यान से इन दो तरीकों में से अपने अच्छे तरीके का चुनाव करें।
तो दोस्तों, आज हमने ग़ज़ल पेश करने के 2 तरीके जाने। अगर आप ग़ज़ल की पूरी जानकारी जानना चाहते हैं कि शेर, मतला, मक़्ता क्या होता है तो आप हमारा लेशन ग़ज़ल की पूरी जानकारी जरूर पढ़ें।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
नमस्ते दोस्तों, आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज के हमारे लेशन में जिसमें हम ग़ज़ल की जानकारी में ये बताने वाले हैं कि ग़ज़ल पेश करने के 2 खास तरीके कौनसे होते हैं यानी हम तरन्नुम और तहत के बारे में बता रहे हैं। अगर आप भी ये जानने के इच्छुक हैं तो इस लेशन को पूरा जरूर पढ़ें।
दोस्तों, ग़ज़ल को लिखना जितना मुश्किल काम है उतना ही मुश्किल इसे पेश करना है। कई ग़ज़लकार ग़ज़ल लिख तो देते हैं मगर वो उन्हें पेश नहीं कर पाते। कई ग़ज़लकार सिर्फ बोलके ही पेश कर पाते हैं और गा नहीं पाने से वो इस बात से तनाव में रहते हैं कि वो आखिर ग़ज़ल को पेश कैसे करें। ग़ज़ल को बहर में ही लिखा जाना अनिवार्य है क्योंकि इससे ही ग़ज़ल को पेश करते समय इसका सौंदर्य झलकता है।
ग़ज़ल को पेश करने के 2 मुख्य तरीके माने जाते हैं-
1. तहत
2. तरन्नुम
तो दोस्तों, ग़ज़ल पेश करने के 2 तरीके आपको पता चल गए होंगे। अब हम आपको इन दोनों को एक-एक करके विस्तृत जानकारी देकर समझाने की कोशिश करते हैं।
1. तहत - आप इसका नाम सुनके तनाव में न आये क्योंकि जितना इसका नाम कठिन है ये उतना ही सरल है। ग़ज़ल में तहत उसे कहते हैं जब हम ग़ज़ल को गाकर नहीं बल्कि सिर्फ बोलके अच्छे हाव भाव से पेश करते हैं। जी हां, दोस्तों, जब हम किसी ग़ज़ल को बिना गाये सिर्फ बोलके पेश करते हैं, तो उसे ही हम तहत कहते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अगर आपको गाना नहीं आता तो आप ग़ज़ल पेश नहीं कर पाएंगे। आप ग़ज़ल को तहत में भी पेश कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई मशहूर शायर एवं ग़ज़लकार अपनी ग़ज़ल को तहत में ही पेश करते हैं और ऐसे शायरों में राहत इंदौरी साहब भी अपनी गज़लों और अपने अद्भुत प्रस्तुतिकरण से प्रसिद्ध है।
2. तरन्नुम - दोस्तों, अब हम बात करते हैं तरन्नुम की। तरन्नुम उसे कहते हैं जब हम किसी ग़ज़ल को गाकर पेश करते हैं। जी हां, जब हम किसी ग़ज़ल को लयबद्ध तरीके से गाकर पेश करते हैं तो उसे ही ग़ज़ल को तरन्नुम में पेश करना कहा जाता है। अगर आप ग़ज़ल लिखने के साथ-साथ अच्छा गा भी सकते हैं तो आप अपनी ग़ज़ल को तरन्नुम में पेश कर सकते हैं।
दोस्तों, ये 2 मुख्य तरीके ग़ज़ल पेश करने के होते हैं। इन्ही 2 आधार पर ग़ज़ल को पेश किया जाता है। कई ग़ज़लकार ऐसे भी हैं जो तहत और तरन्नुम दोनों में ही ग़ज़ल पेश करते हैं। ग़ज़ल का प्रस्तुतिकरण ही आपकी ग़ज़ल और आपको आगे उपलब्धि दिला सकता है इसीलिए अगर आप भी ग़ज़ल लिखते हैं तो आप भी ध्यान से इन दो तरीकों में से अपने अच्छे तरीके का चुनाव करें।
तो दोस्तों, आज हमने ग़ज़ल पेश करने के 2 तरीके जाने। अगर आप ग़ज़ल की पूरी जानकारी जानना चाहते हैं कि शेर, मतला, मक़्ता क्या होता है तो आप हमारा लेशन ग़ज़ल की पूरी जानकारी जरूर पढ़ें।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
Please 32bahar mujhe send kijiye
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