Diwali ki 2 poems
एक चिराग खुशियों का जलाए रखना।
अपने चेहरे पे मुस्कान बनाए रखना।
अपने चेहरे पे मुस्कान बनाए रखना।
सुख आएंगे दीवाली में महमान बनकर।
अपनी घर की दहलीज़ सजाए रखना।
अपनी घर की दहलीज़ सजाए रखना।
कोई ख़्वाब राह तक रहा है आँखों मे।
कोई मंजिल जिंदगी में सोच के रखना।
कोई मंजिल जिंदगी में सोच के रखना।
इस दीपावली आसमाँ धुँवा धुँवा होगा।
तुम अपने ऐबों के पटाख़े बनाये रखना।
तुम अपने ऐबों के पटाख़े बनाये रखना।
मुँह में लड्डू चाहे तुम खट्टे रख दो।
दिल मे रिश्तों की मिठास बनाये रखना।
दिल मे रिश्तों की मिठास बनाये रखना।
आसमाँ से हसीं लम्हों की बरसाते होगी।
अपने आँगन में तुम दामन-ए-जिंदगी रखना।
अपने आँगन में तुम दामन-ए-जिंदगी रखना।
घने अँधेरे बदी के सारे खुद मिट जाएंगे।
एक दिप नेकी का दिल मे जलाए रखना।
एक दिप नेकी का दिल मे जलाए रखना।
रंजिशें कई है इस जालिम जमाने से 'बिलगे'
शिकवे सारे भूलकर तुम दिवाली मनाते रहना।
शिकवे सारे भूलकर तुम दिवाली मनाते रहना।
- मधुकर बिलगे
सत्य को तु जान ले
झूठ को तु मिटा ले
इस दिवाली ऐसा कर
सब के चेहरे पर खुशी ला ले
भूला दे अपनो कि गलती
तू इस दिवाली माॅफ कर ले
लगा गले से दिल से दिल मिला ले
हाथो से हाथ मिलाना छोड़ ले
रब कि रहमत पर
कुछ तो विश्वास कर ले
कम कुछ भी नही
दो दिया जला कर दिवाली बना ले
घर मे माँ को पूज
बहार का दिखावा मिटा ले
तु इस दिवाली
सत्य को उजागर कर ले
विजय श्री राम कि याद कर
खुद को हर संकट से निकाल ले
गिर गया रास्ते पर तो क्या
श्री राम के रास्ते को आपना ले।
- निर देहली
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