World literacy day | vishwa saksharata diwas | poems
खुश रहता है जहां शिक्षा का झरना बहता है,
ये बात अकेले की नहीं ये खुद ज़माना कहता है,
पढ़ने लिखने वाला दुनिया के किसी भी कोने में,
न ठगाता है कभी बल्कि फायदे में रहता है।
हक मिलेगा पहले अपने हक से मिलना सिख लो,
नए दौर की पगडण्डी पर तुम भी चलना सिख लो,
सहना बन्द करो और देखो आगे आना है तुम्हें,
वक्त हुआ है चालाकों का पढ़ना लिखना सिख लो।
कोई पढ़ाता है बेटी को कोई रखता इससे दूर,
अशिक्षा से सहती दुख दर्द फिर होती मजबूर,
दोनों तरफ से दब जाती है हो जाती लाचार,
फिर भी दिल से है निभाती बड़े-बड़े दस्तूर।
पूरे जहां में शिक्षा का सफर हो जाएगा,
खुशियों से भरा हुआ हर घर हो जाएगा,
अधिकारों के लिए किसी को किसी से लड़ना नहीं होगा,
अगर देश मेरा पूरी तरह साक्षर हो जाएगा।
- Kavi Yogendra Jeengar Yash
खुश रहता है जहां शिक्षा का झरना बहता है,
ये बात अकेले की नहीं ये खुद ज़माना कहता है,
पढ़ने लिखने वाला दुनिया के किसी भी कोने में,
न ठगाता है कभी बल्कि फायदे में रहता है।
हक मिलेगा पहले अपने हक से मिलना सिख लो,
नए दौर की पगडण्डी पर तुम भी चलना सिख लो,
सहना बन्द करो और देखो आगे आना है तुम्हें,
वक्त हुआ है चालाकों का पढ़ना लिखना सिख लो।
कोई पढ़ाता है बेटी को कोई रखता इससे दूर,
अशिक्षा से सहती दुख दर्द फिर होती मजबूर,
दोनों तरफ से दब जाती है हो जाती लाचार,
फिर भी दिल से है निभाती बड़े-बड़े दस्तूर।
पूरे जहां में शिक्षा का सफर हो जाएगा,
खुशियों से भरा हुआ हर घर हो जाएगा,
अधिकारों के लिए किसी को किसी से लड़ना नहीं होगा,
अगर देश मेरा पूरी तरह साक्षर हो जाएगा।
- Kavi Yogendra Jeengar Yash
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