कौन हु मैं
कौन हु मैं
कहाँ से मैं आया हूँ
कहाँ है मुझे जाना
बहुत समय के बाद
मेने यह पाया
माटी का पुतला हूँ
भगवान ने मुझे बनाया
कहा मुझसे
भगवान का नुमाइंदा है तु
काम कर वही बन्धे
जो मैं कराता हूँ
होगा प्यारे वही जो
मैं चाहुंगा
चलता रह तु वक्त़ संग
यही तेरा कर्म है
कहाँ से कहाँ है जाना
यहीं तेरा भ्रम है
तु यह सोचना बन्द कर गोविंद
कि कहाँ है मुझे जाना
इस धरा को कर्म भुमि है बनाना
-गोविंद कृष्णा जसनाथी
कौन हु मैं
कहाँ से मैं आया हूँ
कहाँ है मुझे जाना
बहुत समय के बाद
मेने यह पाया
माटी का पुतला हूँ
भगवान ने मुझे बनाया
कहा मुझसे
भगवान का नुमाइंदा है तु
काम कर वही बन्धे
जो मैं कराता हूँ
होगा प्यारे वही जो
मैं चाहुंगा
चलता रह तु वक्त़ संग
यही तेरा कर्म है
कहाँ से कहाँ है जाना
यहीं तेरा भ्रम है
तु यह सोचना बन्द कर गोविंद
कि कहाँ है मुझे जाना
इस धरा को कर्म भुमि है बनाना
-गोविंद कृष्णा जसनाथी
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