Gandhi jayanti speech : गांधी जयंती पर भाषण
राष्ट्रपिता के नाम से पहचान रखने वाले एक ऐसे शख्स जिन्होंने अहिंसा के रास्ते को अपनाकर भारत को आजादी दिलाने हेतु प्रयास किए। आमजन से जुड़कर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा से लड़ने हेतु प्रेरित किया ऐसी शख्सियत का नाम है महात्मा गांधी।
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व और दृष्टिकोण अहिंसावादी था। कहते हैं आमजन से वही जुड़कर रह सकता है जो उनकी तरह सरल हो और बापू एक सरल व्यक्तित्व के थे जिनसे आमजन को उनमें एक अपनत्व का भाव दिखाई देता था।
अंग्रेजी सरकार के दबाव से भारत वासियों को छुड़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहे। देश के किसानों से लेकर हर व्यक्ति की पीड़ा को समझने वाले महात्मा गांधी ने अपने दृष्टिकोण से भारत की आजादी को अहिंसा के बलबूते पर मिलने का सोचा। जब जलियांवाला हत्याकांड में निर्दोषों को बेरहमी से मार दिया गया था तब गांधी जी ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया। अंग्रेजों के हिंसा के पथ को अपनाने के बाद भी गाँधीजी ने उनके खिलाफ अहिंसा का रास्ता चुनकर ही आंदोलन चलाया ऐसे दृष्टिकोण वाले व्यक्ति रहे हैं महात्मा गांधी।
जब गांधी जी ने इस आंदोलन के दौर में हिंसात्मक गतिविधि देखी तो उन्होंने इस आंदोलन तक को रोक दिया। क्योंकि महात्मा गांधी कभी भी हिंसा के बलबूते पर आजादी नहीं चाहते थे। गांधी जी ने आमजन को अपनी अहिंसावादी सोच से ऐसे तैयार कर दिया था कि वो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जागरूक हो चुके थे। एक कारण ये भी रहा कि इससे अंग्रेजों की ताकत पूरी तरह से खत्म होती चली गई।
सत्य और अहिंसा के लिए सबसे पहले जुबान पर नाम यदि किसी का आता है तो वो है महात्मा गांधी का। इनके जीवन से हर बच्चा वाकिफ है। क्योंकि विद्यालय में ऐसी शख्सियत के बारे में प्रेरणा जरूर दी जाती है ताकि बच्चों में संस्कार को जिंदा रखा जा सके।
गांधीजी सत्य और अहिंसा के साथ भाईचारे को भी बढ़ावा देते थे। गांधीजी हर व्यक्ति से जुड़कर रहते थे। इतना ही नहीं स्वदेश की चीजों से अपनापन रखना भी गांधीजी ने ही सिखाया है कि हमें हमेशा स्वदेशी चीजों को अपनाना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज भी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है और गांधी जयंती हर शैक्षणिक संस्था और हमारे देश में 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
राष्ट्रपिता के नाम से पहचान रखने वाले एक ऐसे शख्स जिन्होंने अहिंसा के रास्ते को अपनाकर भारत को आजादी दिलाने हेतु प्रयास किए। आमजन से जुड़कर उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा से लड़ने हेतु प्रेरित किया ऐसी शख्सियत का नाम है महात्मा गांधी।
महात्मा गांधी का व्यक्तित्व और दृष्टिकोण अहिंसावादी था। कहते हैं आमजन से वही जुड़कर रह सकता है जो उनकी तरह सरल हो और बापू एक सरल व्यक्तित्व के थे जिनसे आमजन को उनमें एक अपनत्व का भाव दिखाई देता था।
अंग्रेजी सरकार के दबाव से भारत वासियों को छुड़ाने के लिए सतत प्रयास करते रहे। देश के किसानों से लेकर हर व्यक्ति की पीड़ा को समझने वाले महात्मा गांधी ने अपने दृष्टिकोण से भारत की आजादी को अहिंसा के बलबूते पर मिलने का सोचा। जब जलियांवाला हत्याकांड में निर्दोषों को बेरहमी से मार दिया गया था तब गांधी जी ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया। अंग्रेजों के हिंसा के पथ को अपनाने के बाद भी गाँधीजी ने उनके खिलाफ अहिंसा का रास्ता चुनकर ही आंदोलन चलाया ऐसे दृष्टिकोण वाले व्यक्ति रहे हैं महात्मा गांधी।
जब गांधी जी ने इस आंदोलन के दौर में हिंसात्मक गतिविधि देखी तो उन्होंने इस आंदोलन तक को रोक दिया। क्योंकि महात्मा गांधी कभी भी हिंसा के बलबूते पर आजादी नहीं चाहते थे। गांधी जी ने आमजन को अपनी अहिंसावादी सोच से ऐसे तैयार कर दिया था कि वो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जागरूक हो चुके थे। एक कारण ये भी रहा कि इससे अंग्रेजों की ताकत पूरी तरह से खत्म होती चली गई।
सत्य और अहिंसा के लिए सबसे पहले जुबान पर नाम यदि किसी का आता है तो वो है महात्मा गांधी का। इनके जीवन से हर बच्चा वाकिफ है। क्योंकि विद्यालय में ऐसी शख्सियत के बारे में प्रेरणा जरूर दी जाती है ताकि बच्चों में संस्कार को जिंदा रखा जा सके।
गांधीजी सत्य और अहिंसा के साथ भाईचारे को भी बढ़ावा देते थे। गांधीजी हर व्यक्ति से जुड़कर रहते थे। इतना ही नहीं स्वदेश की चीजों से अपनापन रखना भी गांधीजी ने ही सिखाया है कि हमें हमेशा स्वदेशी चीजों को अपनाना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज भी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है और गांधी जयंती हर शैक्षणिक संस्था और हमारे देश में 2 अक्टूबर को मनाई जाती है।
- लेखक योगेन्द्र जीनगर "यश"
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