हमारी प्रथम साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता के विजेता हैं ★सुनील जी धाकड़★ हमें आपको विजेता चुनते हुए अत्यंत खुशी एवं हर्ष है। हम आपके लेखन के क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए प्रतियोगिता कॉलम में आपकी रचना प्रस्तुत करते हैं-
रिश्ते टूटे हैं, परिवार टूटा है आजकल...
और क्या-क्या तोड़ोगे आजकल
मूक मूर्ति पर प्रहार करोगे
ख़ुद ही ख़ुद पर वार करोगे
पूर्वजों पर अत्याचार करोगे
तो कैंसे ख़ुद का उद्धार करोगे
अग़र यूँ ही विचारधाराओं की लड़ाई लड़ते रह जाओगे,
तो किसी दिन कोई नहीं रहेगा इस संसार मे अकेले रह जाओगे
अगर तोड़ना ही है तो बुरे ख़्वाबों को तोड़िये
दरिद्र के प्रति घृणा के भावों को तोड़िये
भुखमरी और प्रदूषण के रावण को तोड़िये
ये न तोड़ पाओ तो अपने मन के पापों को तोड़िये..
देश टूटा है, दिल टूटा है आजकल
औऱ क्या-क्या तोड़ोगे आजकल
- सुनील धाकड़ (नवोदित रचनाकार)
गुना मध्यप्रदेश
रिश्ते टूटे हैं, परिवार टूटा है आजकल...
और क्या-क्या तोड़ोगे आजकल
मूक मूर्ति पर प्रहार करोगे
ख़ुद ही ख़ुद पर वार करोगे
पूर्वजों पर अत्याचार करोगे
तो कैंसे ख़ुद का उद्धार करोगे
अग़र यूँ ही विचारधाराओं की लड़ाई लड़ते रह जाओगे,
तो किसी दिन कोई नहीं रहेगा इस संसार मे अकेले रह जाओगे
अगर तोड़ना ही है तो बुरे ख़्वाबों को तोड़िये
दरिद्र के प्रति घृणा के भावों को तोड़िये
भुखमरी और प्रदूषण के रावण को तोड़िये
ये न तोड़ पाओ तो अपने मन के पापों को तोड़िये..
देश टूटा है, दिल टूटा है आजकल
औऱ क्या-क्या तोड़ोगे आजकल
- सुनील धाकड़ (नवोदित रचनाकार)
गुना मध्यप्रदेश
शानदार सुनील भाई
ReplyDeleteधन्यवाद योगेंद्र जी।
ReplyDeleteशानदार सुनील भाई
ReplyDeleteजी आभार
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeletePost a comment